कौटिल्य को भारत का मैकियावेली भी कहा जाता है।

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वास्तविक नाम- विष्णु गुप्त कौटिल्य

उपनाम- विष्णुगुप्त, कौटिल्य तथा चाणक्य कुटिल नामक ब्राह्मण वंश में होने से कौटिल्य नाम। भारत के यथार्थवादी विचारक और व्यावहारिक राजनीतिज्ञ थे। कौटिल्य को भारत का मैकियावेली भी कहा जाता है। इनकी जन्म स्थान के संबंध में सभी विद्वान अलग-अलग मत बताते हैं, बौद्ध ग्रंथ में कौटिल्य का जन्म तक्षशिला माना जाता है जबकि जैन ग्रंथों में अवणवेई मैसूर राज्य का गोल प्रदेश माना जाता है| इन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया वहीं पर अध्यापन कार्य भी किया| ये चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे| प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन का जनक कौटिल्य को माना जाता है| पाटलिपुत्र के राजा महापदमननंद ने कौटिल्य को अपमानित किया था उससे बदला लेने के लिए ही कौटिल्य ने चंद्रगुप्त को तैयार किया और उन्हीं के निर्देशन में चंद्रगुप्त ने धनानंद को मारकर मौर्य वंश की स्थापना की।


कौटिल्य का अर्थशास्त्र- उच्च कोटि का ग्रंथ| यह शासन कला तथा प्रशासन की व्यवहारिक समस्याओं के साथ ही राजनीति पर लिखा गया प्रतिनिधि ग्रंथ है| इसकी रचना गद्य तथा पद में की गई है| अर्थशास्त्र में 15 अधिकरण, 150 अध्याय और 180 प्रकरण है| कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में चार विधाओं का उल्लेख किया है-

अनविक्षिकी ( दर्शन और तर्क)


त्रयी ( धर्म अधर्म का ज्ञान)


वार्ता ( कृषि, व्यापार)


दंड नीति ( शासन कला या राजनीति शास्त्र)

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राज्य की उत्पत्ति का सिद्धांत- राज्य की उत्पत्ति मत्स्य न्याय की अवस्था को समाप्त करने के लिए हुई, मत्स्य न्याय में शक्तिशाली व दुर्बल मानवों में संघर्ष था| इस जीवन से मुक्ति पाने के लिए मनुष्य ने मनु को राजा बनाया था| लेकिन को कौटिल्य का विचार काफी हद तक हॉब्स के विचारों से मेल खाता है| कौटिल्य ने भी समझौता सिद्धांत को स्वीकार किया है, मनु के दैवी सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया| कौटिल्य कहते हैं कि व्यक्तियों ने अपनी सुरक्षा के लिए राज्य को स्वीकार किया| एक व्यक्ति को राजा चुना| जो उनको धर्म, अर्थ काम में सहायता दे, राजा इन कर्तव्यों को पूरा करें, यदि वह इन्हें पूरा नहीं कर पाता है तो प्रजा उसे पदच्युत कर सकती है और किसी अन्य व्यक्ति को राजा सुन सकती है|


राज्य का सप्तांग सिद्धांत- राज्य जीवित शरीर की भांति है तथा राज्य के साथ अंग है-


स्वामी- राजा राज्य के प्रमुख अंग के रूप में, राज्य की सिर के तुल्य

है| स्वामी का मतलब है आदेश देने वाला या शासन करने वाला| कौटिल्य का कथन है कि- जिस प्रकार घून लगी हुई लकड़ी नष्ट हो जाती है, उसी प्रकार जिस राजकुल के राजकुमार शिक्षित नहीं होते हैं, वह राजकुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है| इसलिए राजा को उच्च शिक्षित होना चाहिए|


अमात्य- मंत्री, यह राज्य की आंखें हैं, राजा को योग्य एवं निष्ठावान व्यक्ति को ही अमात्य पद पर नियुक्त करना चाहिए|


जनपद- जनयुक्त भूमि, राज्य की जघाए, राज्य की जनता निष्ठावान, संपन्न, स्वाभिमानी होनी चाहिए|


दुर्ग- राज्य की बाहै है| राजा को राज्य की सीमाओं में सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए दुर्गों का निर्माण करना चाहिए| कौटिल्य ने चार प्रकार के दुर्गों की व्याख्या की है-

औदिक दुर्ग ( चारों तरफ पानी)

पार्वत दुर्ग ( पर्वतों से घिरा)

धानवान दुर्ग ( चारों तरफ रेत)

वन दुर्ग


कोष- राज्य का मुख, राज्य के पास पर्याप्त को कोष होना चाहिए, अधिक से अधिक आय के स्त्रोत होने चाहिए, राजा को कोष में निरंतर वृद्धि करते रहना चाहिए|


दंड- सेना, राज्य का मस्तिष्क, प्रजा की आंतरिक और बाह्य शत्रुओं से रक्षा करने के लिए


मित्र- राज्य के कान, ऐसे मित्र होने चाहिए जो आवश्यकता पड़ने पर सहायता कर सकें|

अतः कौटिल्य ने राजतंत्र शासन व्यवस्था को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है| कौटिल्य कहते हैं कि " यदि राजा संपन्न हो तो उसकी समृद्धि से जनता में भी समृद्धि आती है" यदि राजा उद्यमी और परिश्रमी होता है तो प्रजा में भी वही गुण आ जाते हैं| राजा एक आदर्श पुरुष ही होना चाहिए, उच्च कुल का होना चाहिए, सत्य बोलने वाला हो, उत्साही हो| राजा का कार्य है कि वह प्रजा की रक्षा करें, प्रजा को सुख समृद्धि बनाए, अनेक सामाजिक कार्यों का निर्वाह करें, जनहित के कार्य करें, विदेशी संबंधों का संचालन करें, राज्य के समस्त कार्यों को मंत्री परिषद के परामर्श से संपन्न करें, उन्होंने मंत्री परिषद को राज्य रूपी गाड़ी का दूसरा पहिया बताया|

उचित प्रकार की न्यायिक व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि कौटिल्य ने न्याय प्रणाली को राज्य का प्राण माना है यदि राज्य में प्रजा को न्याय नहीं मिलता है तो राज्य शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा| इसलिए श्रेष्ठ शासन व्यवस्था होनी चाहिए| दो प्रकार के न्यायालयों की व्यवस्था- धर्मस्थिय न्यायालय-इसके अंतर्गत दीवानी मामले जैसे संपत्ति, उत्तराधिकार, विवाह, मजदूरी, ऋण तथा कंटक शोधन न्यायालय- इसमें फौजदारी मामले आते हैं जैसे राज्य तथा राजा के विरुद्ध किए जाने वाले अपराधों के संबंध में|


कौटिल्य की परराष्ट्र नीति संबंधी धारणा- आंतरिक प्रशासन के साथ-साथ कौटिल्य विदेशी संबंधों पर भी बल देता है| अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में इसका विस्तृत वर्णन करता है, इस को 4 वर्गों में विभक्त किया है-

1. उपाय- साम, परराष्ट्र दान, भेद और दंड


2. मंडल सिद्धांत- शक्तिशाली राज्य सदैव दुर्बल राज्य को दबाता है अतः युद्ध स्वाभाविक है, इसलिए युद्ध कैसे हो, राज्य की सुरक्षा कैसे हो, राज्य के पड़ोसी से संबंध कैसे स्थापित हो इसके लिए मंडल सिद्धांत का प्रतिपादन किया है| 12 राज्यों के समूह को मंडल कहा जाता है-

विजिगीषु राज्य,अरि राज्य, मित्र राज्य, अरि मित्र राज्य, मित्र मित्र राज्य, अरि मित्र मित्र राज्य, पाष्णिग्राह, आक्रन्द, पाष्णिग्राहसार, आक्रन्दसार, मध्यम, उदासीन


3. षडगुण नीति- षडगुण नीति में 6 गुण

संधि- दो राज्यों में परस्पर संबंध

विग्रह- युद्ध करने का निर्णय

यान- युद्ध घोषित किए बिना आक्रमण की तैयारी करना

आसन- तटस्थता की नीति

संश्रय- अन्य राज्य का संरक्षण प्राप्त करना

द्वेदी भाग- एक राजा से शांति की संधि करके दूसरे के साथ युद्ध करने की नीति


4 कूटनीति- परराष्ट्र निति के सफल संचालन के लिए इसकी व्यवस्था


कौटिल्य के महत्वपूर्ण प्रश्न -


1. कौटिल्य के अनुसार ' त्रिवर्ग' में शामिल है?

अ अर्थ काम धर्म

ब अर्थ काम मोक्ष

स धर्म अर्थ मोक्ष

द अर्थ धर्म मोक्ष


2. कौटिल्य के अनुसार षडगुण नीति का मूल उद्देश्य है-

अ कार्य सिद्धि

ब भौगोलिक स्थिति

स शक्ति संतुलन

द सिमाओ की सुरक्षा


3. अर्थशास्त्र के कितने भाग हैं-

अ 12

ब 15

स 25

द 30


4. कौटिल्य ने लिखा है-

अ वेद

ब अर्थशास्त्र

स पुराण

द शुक्र नीति


5. कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत में संप्रभुता निवास करती है?

अ जनपद में

ब स्वामी में

स दंड में

द अमात्य में


6. राज्य से पहले की अवस्था को कौटिल्य ने संज्ञा दी है-

अ अराजक अवस्था

ब समाज विहीन अवस्था

स प्राकृतिक अवस्था

द धर्म विहीन अवस्था


7. कौटिल्य के अनुसार राज्य का प्रयोजन है-

अ शक्ति का विस्तार

ब धर्म का प्रचार

स राज्य की सीमाओं में वृद्धि

द प्रजा की सुरक्षा में कल्याण


8. निम्नांकित में से वर्तमान समय के कौन से राज्य मंडल सिद्धांत का सटीक उदाहरण पेश करते हैं?

अ फ्रांस और जर्मनी

ब भारत और पाकिस्तान

स चीन और जापान

द पोलैंड और रूस


9. कौटिल्य की तुलना किस पाश्चात्य विचारक से की जाती है?

अ बेंथम

ब मैकियावेली

स मार्क्स

द मिल


10. कौटिल्य का राज्य है-

अ लोक कल्याणकारी

ब सर्व सत्तावादी

स आदर्शवादी

द उदारवादी


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11. अर्थशास्त्र में कौटिल्य ने जिस अध्ययन पद्धति का प्रयोग किया है वह है-

अ दार्शनिक

ब ऐतिहासिक

स प्रयोगात्मक

द पर्यवेक्षनात्मक


12. कौटिल्य के अर्थशास्त्र का प्रधान विषय है-

अ दर्शन

ब अर्थशास्त्र

स राजनीति

द प्रशासन या शासन कला


13. भारत का मैकियावेली किसे कहा जाता है?

अ वेदव्यास

ब कौटिल्य

स वीर सावरकर

द पतंजलि


14. प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन का जनक कौन है?

अ वीर सावरकर

ब कौटिल्य

स राजा राममोहन राय

द महात्मा गांधी


16. अर्थशास्त्र की भाषा है-

अ हिंदी

ब संस्कृत

स पाली

द अवधि


17. राजसी पित्रवाद के सिद्धांत का समर्थक कौन थे?

अ. प्लेटो

ब. कौटिल्य

स. अरस्तु

द मैक्यावली


18. "जब लोग दरिद्र होते हैं, तो लालची हो जाते हैं, जब वे लालची होते हैं तो वे असंतुष्ट हो जाते हैं, असंतुष्ट होने पर वे स्वेच्छा से शत्रु के पक्षधर हो जाते हैं और अपने स्वामी का नाश कर देते हैं|" यह कथन किसका है?

अ वेदव्यास

ब कौटिल्य

स शुक्र

द लॉक


19. कौटिल्य ने गुप्त चर के कितने प्रकार बताए हैं?

अ 2

ब 3

स 5

द 6


20. षडगुण नीति के अंतर्गत शामिल नहीं है?

अ यान

ब आसन

स विजिगिशु

द संश्रय


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Answer Key Link*


 नवचेतना अकादमी का यूट्यूब चैनल

https://youtube.com/c/TheMaTVala

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