हर्षवर्धन के उपरान्त भारत में भारत में बस एक ही शक्तिशाली वंश पैदा हुआ था जिसने पूरे भारत पर राज किया हो और वह वंश था, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के समाप्त होने के बाद, इस युग में भारत अनेक छोटे बड़े राज्यों में विभाजित हो गया जो आपस मे लड़ते रहते थे। इनके राजा 'राजपूत'(राजपुत्र का भ्रष्ट शब्द) कहलाते थे तथा सातवीं से बारहवीं शताब्दी के इस युग को 'राजपूत युग' कहा गया है।
11वीं सदी में, "राजपुत्र" शब्द को शाही आधिकारिकों के लिए गैर-वंशानुगत पदनाम के रूप में सामने आया। धीरे-धीरे राजपूत शब्द विभिन्न संजातियता और भौगोलिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का सामाजिक समूह बन गया। 16वीं और 17वीं सदी में यह समूह बड़े स्तर पर वंशानुगत हो गया, यद्यपि राजपूत होने के नये दावे बाद की सदियों में भी जारी रहे। विभिन्न राजपूत-शाषित राज्यों ने 20वीं सदी तक उत्तर और मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजपूत जनसंख्या और पूर्व राजपूत राज्य उत्तर, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भारत के साथ दक्षिणी और पूर्वी पाकिस्तान में पाये जाते हैं। इन क्षेत्रों में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पूर्वी पंजाब, पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश और सिंध,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
राजपूत काल (उत्तर भारत) प्रश्नोत्तरी
राजपूत काल कब से कब तक माना जाता है – छठी सदी से बारहवीं सदी तक
712 ई. में सिंध पर मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था – दाहिर
सर्वप्रथम जजिया कर लगाने का श्रेय किसे दिया जाता है – मोहम्मद बिन कासिम
‘दिल्लिका किसका पुराना नाम है – दिल्ली का
पृथ्वीराजरासों की रचना किसने की- चंद्रबरदई ने
प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर कहाँ स्थित है- माउंट आबू पर
खजुराहो में स्थित मंदिरों का निर्माण किसने कराया- चंदेल शासकों ने
विजय स्तंभ कहाँ स्थित है- चित्तौड़गढ़
महमूद गजनवी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किये- 17 बार
महमूद गजनवी का प्रसिद्ध आक्रमण कोन-सा था- सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण
मुहम्मद गजनवी ने गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को कब लूटा – 1206 ई.
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सोमनाथ मंदिर पर मुहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय गुजरात का शासक कौन था – भीमदेव।
किस नाटक के कुछ अंश ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद पर लिखे हैं. हरिकेलि
रानी पद्मनी का नाम खिलजी की चित्तौड़ विजय से जोड़ा जाता है। रानी पानी किसकी पत्नी थीं – राणा रतन सिंह
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